गोरखापत्र संस्थानसे “सास्कतिक सौरभ” प्रकासित

गोरखापत्र आप्नार ११७ वा वर्षत प्रवेसेर अवसरत नेपालत रहवार विभिन्न जातलर संस्कार एंवम संस्कृति झल्किवार लेखलार पुस्तकेर रुपत “सांस्कृतिक सौरभ” नामेर किताबेर प्रकासन करिचे । गोरखापत्र नयाँ नेपालत आबद्ध रहाल साथे भासा विधलासे तयार कराल लेखला सङग्रहित कराल उखान सांस्कृतिक सौरभ नामेर किताब खानत ३८ टा जातिर भासा, संस्कार आर संस्कृति सम्बन्धि लेखला छे । निर्मलकुमार आचार्य, श्री ओम श्रेष्ठ ‘रोदन’, जयदेव भट्टराई, लोकबहादुर चौधरि ‘लक्की’ द्वारा सम्पादन कराल उखान किताबखानत माया आचार्य आर मोहनप्रसाद दाहाल द्वारा शुद्धाशुद्धि देखवार काम हइचे ते किताब खानेर बाहिरि आवारण तथा साजसज्जा कर्वार काम ज्ञानेन्द्र लामा साथे टोपनाथ न्यौपाने र करिचे आर मुद्रण व्यवस्थापन भाष्कर पौडेल करिचे । किताबखानेर दाम दुई सय पच्हत्तर टाका छे । 
२०६४ सालेर असोज महिनोर १ गते से बहुभासिक पृष्ठ नया नेपालेर रुपत सन्चाल कर्वार गोरखापत्रत आल्हा नेपालत रहाल १२३ टा भासार मध्ये ३७ टा भासात समिटिएने प्रकाशन कर्ते छे । हरेक दिन पृष्ठ ११ आर १२ त दुईटा भिन्ना भिन्न भासार पृष्ठ आल्हा गोरखापत्रत देख्वा मिलेचे । अनङगे करे हरेक महिनार १२ गते आर २६ गते राजबंसि भासार पृष्ठ प्रकासन हचे ।
राजबंसि जातिलार मान्वार आर विसेस महत्व रहवार ग्रामसेभा लगायत सिरुवा पाब्निर विसयत समेत तम्हा उखान कितबत पढ्वा सकेचन । साथे नेपालत रहवार विभिन्न जाति ताजपुरिया, धिमाल, मेचे, मैथलि, भोजपुरि, थारु, मगर, तामाङ, अवधि, राई, नेवार, गुरुङ, उर्दु, किसान, उँराव, जिरेल, सुनुवार, लिम्बु, बराम, चेपाङ, माझि, कुमाल, दनुवार, ल्होमि, मारबाडि, डोटेलि, खस जुम्लि, थामि बज्जिका आदि लार संस्कार, संस्कृति बारे जानकारि लिवार ताने इखान किताब तम्हालार ताने प्रभावकारि हवा सकेचे ।

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